दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती : यज्ञ में शामिल हुए PM Modi, बोले- महर्षि ने विश्व को दिशा दी
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती समारोह का उद्घाटन किया। यहां वह आयोजित यज्ञ में शामिल हुए। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, अर्जुन राम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी भी मौजूद रहे। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयंती का यह अवसर ऐतिहासिक है। पीएम मोदी ने कहा, यह पूरे विश्व और मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का पल है। 21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है। ये मेरा सौभाग्य है कि जिस पवित्र धरती पर महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने जन्म लिया, उस धरती पर मुझे भी जन्म लेने का सौभाग्य मिला। उस मिट्टी से मिले संस्कार, उस मिट्टी से मिली प्रेरणा, मुझे भी महर्षि दयानंद सरस्वती के आदर्शों के प्रति आकर्षित करती रहती है। पीएम मोदी ने कहा, मैं स्वामी दयानंद जी के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। महर्षि दयानंद जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज में पुनर्जीवित किया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया। महिलाओं को लेकर समाज में जो रूढ़ियां पनप गईं थीं, महर्षि दयानंद जी उनके खिलाफ एक तार्किक और प्रभावी आवाज़ बनकर उभरे। पीएम मोदी ने कहा, स्वामी दयानंद जी ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया। आज देश पूरे गर्व के साथ" अपनी विरासत पर गर्व का आह्वान कर रहा है।आज देश पूरे आत्मविश्वास के साथ कह रहा है कि हम देश में आधुनिकता लाने के साथ ही अपनी परंपराओं को भी समृद्ध करेंगे। पीएम मोदी ने कहा, यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है। यह पूरे विश्व के मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का फल है। स्वामी दयानंद जी और उनका आदर्श था हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाए। जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था। पीएम मोदी ने कहा, जो बीज स्वामी जी ने रोपा था, वो आज विशाल वटवृक्ष के रूप में पूरी मानवता को छाया दे रहा है। आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की प्राथमिकताओं में थे। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि अनेक संस्थाओं का भी सृजन किया। वो अपने जीवन काल में क्रांतिकारी विचारों को लेकर के चले,उनको जिया और लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हर विचार को व्यवस्था के साथ जोड़ा। पीएम मोदी ने कहा, स्वामी दयानंद जी ने हमें जीवन जीने का एक और मंत्र दिया था। उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में बताया था कि आखिर परिपक्व कौन होता है, आप किसको परिपक्व कहेंगे? उनका कहना था कि जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही परिपक्व है। स्वामी दयानंद जी ने आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ गुरुकुलों के जरिए भारतीय परिवेश में ढली शिक्षा व्यवस्था की भी वकालत की थी। पीएम मोदी ने कहा, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश ने अब इसकी भी बुनियाद मजबूत की है। आज हम देश में बिना भेदभाव के नीतियों और प्रयासों को आगे बढ़ते देख रहे हैं। जो गरीब है, पिछड़ा और वंचित है उसकी सेवा आज देश के लिए सबसे पहला यज्ञ है। "वंचितों को वरीयता" इस मंत्र को लेकर हर गरीब के लिए मकान, उसका सम्मान और हर व्यक्ति के लिए चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा रही है। पीएम मोदी ने कहा, एक अंग्रेज अफसर स्वामी दयानंद जी से मिलने आया और उनसे कहा कि- भारत में अंग्रेजी राज के सदैव बने रहने की प्रार्थना करें। स्वामी जी ने निर्भीकता के साथ... आंख में आंख मिलाकर उस अंग्रेज अफसर से कहा- स्वाधीनता मेरी आत्मा और भारतवर्ष की आवाज है। यही मुझे प्रिय है। मैं विदेशी सम्राज्य के लिए कभी प्रार्थना नहीं कर सकता। स्वामी दयानंद के व्यक्तित्व से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों के भीतर राष्ट्र प्रेम की लौ जलाई थी। भारत आज विश्व के लिए एक पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है। हमने प्रकृति से समन्वय के विजन को अपनाते हुए एक ग्लोबल मिशन "LiFE" जिसका अर्थ है Lifestyle For Environment की भी शुरुआत की है। हमारे लिए गर्व की बात है कि इस महत्वपूर्ण दौर में दुनिया के देशों ने G-20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी भी भारत को सौंपी है। आर्य समाज के संस्थापक थे महर्षि दयानंद सरस्वती महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था। वह एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने लोगों को संदेश दिया कि "वेदों की ओर लौटो" अर्थात् उनका मानना था कि वेदों में ही जीवन की सत्यता है। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नाम की किताब भी लिखी है।
आंगनवाड़ी केंद्रों के उत्कृष्ट रखरखाव के लिए, राज्यपाल द्वारा सीएमओ को किया गया सम्मानित
रोटरी गवर्नर ने किया यात्री प्रतीक्षालय और हर्बल वाटिका का शुभारंभ
*एजुकेशन टुडे ग्रुप के डिजिटल लर्निंग टूल्स में डालिम्स सनबीम मऊ हुवा सम्मानित*
राजन बने 5वीं राज्य स्तरीय योगासन खेल प्रतियोगिता के कंपटीशन डायरेक्टर
बाढ़ से प्रभावित लोगों को तत्काल पहुंचाए राहत:- कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान
प्रतिभा सम्मान: जिले के अव्वल 20 छात्रों को रोटरी क्लब मऊ ने किया सम्मानित
रोटरी क्लब मऊ: नई कार्यकारिणी के अध्यक्ष प्रदीप सिंह और सचिव पुनीत ने श्रीवास्तव कार्यभार संभाला