महाशिवरात्रि से पहले अमिताभ बच्चन ने बाबा विश्वनाथ को किया याद, महानायक ने लिखा- ऊं नमः शिवाय

बॉलीवुड दुनिया के महानायक और सबके दिलों पर राज करने वाले अमिताभ बच्चन ट्विटर पर अक्सर अपनी जानकारी शेयर करते रहते हैं। महाशिवरात्रि से पहले अमिताभ बच्चन को बाबा विश्वनाथ याद आए हैं। सोमवार को महानायक ने बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती के बाद हुए भव्य श्रृंगार की तस्वीर को ट्वीट किया। तस्वीर के साथ उन्होंने कैप्शन में ऊं नमः शिवाय  लिखा।
उनके इस ट्वीट को दोपहर तक करीब लाखों लोगों ने देखा और पसंद किया। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के ट्विटर पर मिलियन फॉलोअर्स हैं। बीते एक हफ्ते से बिग बी धर्म-कर्म से संबंधित ट्वीट कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने महाबली बजरंगबली तो उससे पहले शिरडी साईं को ट्वीट के जरिए याद किया।

कोरोना काल में भी अमिताभ बच्चन ने किया था ट्वीट

इससे पहले कोरोना काल में अमिताभ बच्चन ने ट्विटर हैंडल पर बाबा विश्वनाथ की सप्तर्षि आरती की तस्वीरें शेयर करके महामारी के शमन की कामना की है। शिवरात्रि से पहले एक बार फिर से उन्होंने बाबा विश्वनाथ को याद किया है। ऐसे में कई प्रशंसकों का मानना है कि अमिताभ बच्चन आगामी दिनों में  फिल्म शूटिंग या किसी अन्य कार्य को लेकर वाराणसी आ सकते हैं। 

काशी विश्वनाथ मंदिर की मंगला आरती है अद्भुत

"जगाय हारी भोले बाबा ना जागे, गंगा जगावें, यमुना जगावें, त्रिवेणी जगावें लहर मारी, भोले बाबा ना जागे जगाय हारी... की मधुर तान पर नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ नींद से जाग जाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में अर्चक भोर में होने वाली मंगला आरती की शुरुआत से पहले गीत गाकर बाबा विश्वनाथ को जगाते हैं। इसके साथ ही मंगला आरती से काशी की सुबह आरंभ हो जाती है। श्रद्धालु मंदिर के काउंटर या फिर काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के ऐप से मंगला आरती का टिकट बुक करके आरती में शामिल हो सकते हैं।
 काशी विश्वनाथ मंदिर में रात 2:45 बजे से मंगला आरती के अनुष्ठान आरंभ होते हैं। भोर में तीन बजे से चार बजे तक मंगला आरती का समय निर्धारित है। आरती से पहले गर्भगृह से रात के श्रृंगार को हटाया जाता है, उसके बाद उनके खड़ाऊं, पलंग, दूध के पात्र को हटाया जाता है। बाबा जब नींद से जागते हैं तो सबसे पहले उन्हें दूध का भोग लगाया जाता है।
इसके बाद उन्हें जल, दूध, घी, दही, शहद और पंचामृत से स्नान कराया जाता है। षोडशोपचार विधि से पूजन के बाद फूलों से श्रृंगार कर बाबा को भस्म अर्पित कर आरती उतारी जाती है। ढाई घंटे की आरती के बाद बाबा का कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है।



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