दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को भारत आएंगे 12 चीते : पर्यावरण मंत्री
नई दिल्ली। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को 18 फरवरी को देश में लाया जाएगा। महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से आए पांच मादा एवं तीन नर चीतों समेत आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में एक बाड़े में पृथक-वास में छोड़ा था। अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में कुनो में ये आठ चीते तीन से चार दिन में शिकार कर रहे हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक है। उन्होंने कहा कि एक मादा चीते का स्वास्थ्य ठीक नहीं था क्योंकि उसका क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ गया था लेकिन उपचार के बाद अब उसकी स्थिति ठीक है। सीरम में क्रिएटिनिन के स्तर से किडनी के कामकाज और स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है। मंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारतीय वायुसेना का (आईएएफ) का एक सी-17 विमान दक्षिण अफ्रीका से इन चीतों को लाने के लिए बृहस्पतिवार सुबह रवाना हुआ। इन चीतों को पृथक-वास में रखने के लिए कुनो राष्ट्रीय उद्यान में 10 पृथक बाड़े बनाए गए हैं।’’ भारत और दक्षिण अफ्रीका ने जनवरी में अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था और उन्हें कुनो में फिर से बसाया था। दुनिया के अधिकांश 7,000 चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में रहते हैं। नामीबिया में चीतों की सबसे अधिक आबादी है। चीता एकमात्र ऐसा मांसाहारी जीव है जो मुख्यत: अत्यधिक शिकार एवं आवासन की कमी के कारण भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है। भारत में आखिरी चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरैया जिले के साल वन में मृत पाया गया था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रमुख एस. पी. यादव ने कहा, ‘‘सात नर एवं पांच मादा चीते दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग में ओ. आर. टैम्बो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से शुक्रवार को कुनो की यात्रा के लिए रवाना होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये चीते मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना अड्डे पर शनिवार को सुबह 10 बजे पहुंचेगे और इसके बाद उन्हें वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से ले जाया जाएगा।’’ यादव ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में तीन चीतों को क्वाजुलु-नटाल प्रांत में फिंडा पृथक-वास ‘बोमा’ में और नौ चीतों को लिम्पोपो प्रांत में रूइबर्ग पृथक-वास ‘बोमा’में रखा गया है। ‘बोमा’ तकनीक अफ्रीका में काफी लोकप्रिय है। इसमें फनल (वी आकार) जैसी बाड़ के माध्यम से जानवरों का पीछा करके उन्हें एक बाड़े में कैद किया जाता है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, ‘‘फरवरी में इन 12 चीतों के आने के बाद अगले आठ से 10 साल में सालाना 12 चीतों को देश में लाने की योजना है। समझौता ज्ञापन की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में इसकी समीक्षा की जाएगी।’’ भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार ‘भारत में चीता पुनर्वास कार्य योजना’ के अनुसार, नयी चीता आबादी स्थापित करने के लिए आदर्श लगभग 12-14 चीते शुरुआती पांच साल के लिए और बाद में आवश्यकतानुसार दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से आयात किए जाएंगे।
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